दर्शनीय स्थल
झाँसी का किला
महारानी झांसी के किले के शुरुआती समय से रणनीतिक महत्व है। यह बलवंतनगर (वर्तमान में झांसी के नाम से जाना जाता है) में बंगरा नामक एक चट्टानी पहाड़ी पर ओरछा के राजा बीर सिंह जू देव (1606-27) द्वारा बनाया गया था। किले में दस फाटक (दरवाजा) हैं। इनमें से कुछ खंडेराव गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, झरना गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैंयर गेट, चाँद गेट हैं। मुख्य किले क्षेत्र के भीतर महत्वपूर्ण स्थानों में कड़क बिजली तोप (टैंक), रानी झांसी गार्डन, शिव मंदिर और गुलाम गॉस खान, मोती बाई और खुदा बख्श की “मजार” हैं। झांसी किला, प्राचीन राजसी गौरव और वीरता की एक जीवित गवाही में मूर्तियों का एक अच्छा संग्रह भी है जो बुंदेलखंड के घटनात्मक इतिहास में उत्कृष्टता प्रदान करता है |
रानी महल
रानी लक्ष्मी बाई का महल (रानी महल) की दीवारों और छतों को बहुरंगीन कला और चित्रकला के साथ अलंकृत किया गया है ।
वर्तमान में यह महल एक संग्रहालय में परिवर्तित हो गया है।
इसमें 9वीं और 12 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच की अवधि की मूर्तियों का विशाल संग्रह है, जो भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यहां स्थापित किया गया है।
उ.प्र. सरकार म्यूजियम
राज्य संग्रहालय में टेराकोटा, कांस्य, हथियार, मूर्तियां, पांडुलिपियों, चित्रकारी और सोने, चांदी और कॉपर के सिक्के का एक अच्छा संग्रह है।
महा लक्ष्मी मंदिर
महा लक्ष्मी मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर 18 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह गौरवशाली मंदिर लक्ष्मी ताल के पास लक्ष्मी “दरवाजा” के बाहर स्थित है।
महाराजा गंगाधर राव की छतरी
महाराजा गंगाधर राव की समाधि लक्ष्मी ताल पर स्थित है। 1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद इस प्राचीन स्मारक को उनकी पत्नी महारानी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था।
गणेश मंदिर
गणेश मंदिर, जहां 1857 के स्वंत्रता संग्राम की बहादुर नायिका महारानी लक्ष्मी बाई और महाराजा गंगाधर राव का विवाह समारोह संपन्न हुआ था । यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है।
अन्य दर्शनीय स्थल :
- कालीजी का मंदिर
- मुरली मनोहर का मंदिर
- पंचकुइयां मंदिर
- जीवन शाह की मजार
- संत जूड की समाधि व गिरजाघर
- तलैया मोहल्ला का गुरुद्वारा
- करगुवां जैन तीर्थस्थान
- कुञ्ज बिहारी जी का मंदिर